कोरोना संक्रमण से खुद ही ठीक हो गई एक-तिहाई आबादी: ICMR के सर्वे में आया सामने
सेहतराग टीम
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के ताजा सर्वे में सामने आया कि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा कोरोना वायरस इन्फेक्शन के बाद अपने-आप ठीक हो चुका है। दरअसल लोगों के भीतर कोरोना की पहुंच और असर का पता लगाने के लिए सीरोलॉजिकल सर्वे किया गया था।
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अंग्रेजी अखबार न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने अधिकारियों के हवाले से रिपोर्ट के शुरुआती नतीजे छापे हैं। इसके अनुसार, हाटस्पॉट बने शहरों की एक-तिहाई आबादी में संक्रमण फैला था। यह मरीज खुद-ब-खुद रिकवर हो गए। उनके शरीर से ऐंटीबॉडीज मिली हैं। सर्वे की शुरुआती रिपोर्ट कैबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री कार्यालय से साझा की गई है।
ब्लड सीरम में मौजूद थीं एंटीबॉडीज
ICMR के सीरोलॉजिकल सर्वे में देश के 70 जिलों से करीब 24 हजार लोगों के सैंपल लिए गए थे। यह टेस्ट IgG ऐंटीबॉडीज का पता लगाने के लिए था जो SARS-CoV-2 से लड़ती हैं। यह इंफेक्शन के 14 दिन बाद शरीर में मिलने लगती हैं और महीनों तक ब्लड सीरम में रहती हैं। ICMR ने पाया कि हाई केसलोड वाले जिलों के कई कंटेनमेंट एरियाज में 15 से 30 फीसदी आबादी को इंफेक्शन हो चुका है।
ICMR को अभी 8 जिलों का डेटा और कम्पाइल करना है। बाकी जिलों का डेटा दिखाता है कि कई कंटेनमेंट एरियाज में इंन्फेक्शन साइज वहां मिले केसेज के 100 गुने से 200 गुना ज्यादा है। इनमें मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद और इंदौर जैसे शहर हैं। यानी जो केसेज रिपोर्ट हो रहे हैं, असल में कोरोना उससे कहीं ज्यादा आबादी में फैल है। ICMR रिपोर्ट कहती है कि टियर 2 और टियर 3 शहरों में वायरस का प्रसार कम रहा है।
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क्या है सीरो सर्वे या एंटीबॉडी टेस्ट?
ब्लड सैंपल का एंटीबॉडी टेस्ट बड़ी अहम जाानकारी देता है। इससे शरीर में एंटीबॉडी का पता चलता है, जो बताती हैं कि आप वायरस के शिकार हुए थे या नहीं। एंटीबॉडी दरअसल वो प्रोटीन्स हैं जो इन्फेक्शंस से लड़ने में मदद करती हैं। सीरो सर्वे के लिए पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरॉलजी (NIV) की बनाई कोविड कवच एलिसा किट्स इस्तेमाल की गई हैं।
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